Wednesday, 5 September 2018



हम से भी हसीन उनकी किताबें होती है,
जो किताबों पर उँगलियों के रक़्स होते है।



रातों को न जाने कितने पन्नें कितनी मरतबं पलटे जाते है,
बार बार दोहरा कर उन पन्नों के हर्फ़ से रिस्ते जोड़े जाते है।

Tuesday, 4 September 2018


चलते फ़िरते शहर के नीचे एक शहर बस्ता है,
एक डर रहता है ये इमारतें ढा न जायें कभी,,

इनको खड़ा करने में दिल और वक़्त दोनो लगता है,
टूटे दिल से हिम्मत जुटाना भी अब मुश्किल लगता है,,

तुम्हारे केशुओं की तरह छत का ठिकाना नही लगता है,
हँसते खेलते, चलते फ़िरते शहर के नीचे भी एक शहर बस्ता है।

Akash Kumar Dhuria




Monday, 3 September 2018


#Dedication      #struggle      #goals

विशाल चाह द्रढ़ है, बस पाँव दरख़्त में फसें है।
उम्मीद है, दूसरी दरख़्त तो मिले पाँव छुटाने को।।

Friday, 31 August 2018

रंग


सब के सब इंद्रधनुष के रंग धरे ही रह जाते है,
एक दो रंगों का असर ख़ूब चढ़ता चेहरे पर तेरे,,

Tuesday, 28 August 2018


दिन मज़दूरों से है ,रात जैसे क़िस्तों से है,
जिस पल तुम साथ बस वो वक़्त मेरा है,,

Monday, 27 August 2018


चलो रहने देते है तुमसे ख्वाइशें,
सवाल-जवाब भी हमी रखते है,,

Sunday, 26 August 2018



मेरे साथ ही क्यों तजुर्बेकार होता है,
न हाँथ मिला सकते न गले लिपट सकते है,,

Saturday, 25 August 2018

राखी



हाँथों में लिपटा सिर्फ़ धागा नही तुम्हारा पावन विस्वास है,
मानो तो कुछ नही ये धागा तेरे इश्क़ का  एक जवाब है बहन,,


दीदार



तुम्हारी सूरत देखते ही कैसे उँगलियाँ थकां छोड़ देती है,
वर्षों का उदास चेहरा कैसे अपने ताले खोल देता है,,


एक रात बड़ी मय्यसर सी गुमनाम दर्ज है,
उसकी क़ामयाबी के पीछे चाँद भी जगा है,,

Wednesday, 22 August 2018

इंतज़ार



कुछ ख्वाइशें दिल मे इस क़दर धड़कती रही,
रात छोटी होती गई इंतज़ार की हद्दे बढ़ती गई,,





पीछे जाने के सारे रास्ते जला दो, 
क़ामयाबी के रास्ते बुलंद बना लो,,

Thursday, 16 August 2018

सार्वजनिक डायरी



हर कोई लेखक नही आज,
हर कोई लिखता है आज एक दो को छोड़ कर ,,
आज कोई कलम से डायरी नही भरता,
दिन भर का हिसाब सोशल साइट्स पर होता है।
डायरियां खुद ब खुद वाक्या नही बतलाती हैं,
वाक्या याद दिला कर (पिछली सोच) यानी याद से तरोताज़ा भी करता है,
इक्तिफाखन डायरियां पढ़ने का वक़्त किसको कँहा अब,
जो अंगूठे को चलाने की आदत सी हो चुकी हैं,
यूँ ही गुज़रे वक़्त को देख उस दिन को गुनगुना सोच कर दोबारा साँसें रोक लेता हूँ।
हर कोई लेखक नही आज, लिखते सब किसी तौर से है।
बोलते जो लोग हैं वही बस लिखते सुनाते है।
दो तारफ़ा चलने,बोलने, देखने, ज़ीने वाले भी बहुत है,
फेसबुक तफ़रीह का घर नही हर किसी की निजी डायरी है।
निज़ी चीज़ो पर कितना ऐयतियाद बर्तना पड़ता है ये भी जानते हो आप.........


,,विख्यात अस्मा स विस्तार नीले अस्मा स शांत,,





चलती फिरती ज़िन्दगी यूँ मुँह मोड़ लेगी,
किसको पता पल से शुरू रिश्ते,
लम्बे सफ़र में साथ छोड़ देगी। 

Tuesday, 14 August 2018


क़यामत की घटा है केशुओं में उनकी,
हर मौसम की बहार है उनकी झलक,,

उम्र गुज़ार दूँ मैं बस उन्हें देख कर यूँ,
साथ क्या देख कर उम्र बसर कर लूँ,,


हाँथों में मेहँदी गुद्दी हुई ढाई फिट बच्ची के हाँथ फैलें हुए थे,
कई बार कहा दुकानदार से ,
उसके हाथों को एक टक देखने के बाद,
 उसके हाँथ में एक दागी अनार थमा दिया।

Monday, 13 August 2018

स्वतंत्रता

दिये जलते है तो जलने दो,
उम्मीदों की दरख़्त में रोशनी फैलने दो,

गुमनाम बच्चों को अब सवरने दो,
फ़िर देश के हित मे उन्हें भी कुछ करने दो।

Sunday, 12 August 2018

अहसास

AHSAS EK SATH KA WO NAAM HO TUMHARA,
NAAM KE ALAWA TUM NASEEB ME NAHI,,

Saturday, 11 August 2018

खौफ़


जिनकी दाढ़ी है वो कोहराम के चलते जिया करते है,
आतंकवाद से वास्ता नही रिश्तेदार फिर भी कहलाते है,,

Wednesday, 8 August 2018




तुम्हारी आवाज़ महज़ एक तनख्वा होती।
माह के आख़िर तक सम्हाल कर ख़र्च करते।।

Tuesday, 7 August 2018

आलोचना


तिरगी में पत्थर फेंकने से क्या फ़ायदा,
तिरगी में न पहचान हमारी न तुम्हारी है।

Monday, 6 August 2018

अंज़ाम


जो अंजाम की परवाह करते है,
सफ़र की गाहें-बग़ाहें नही करते है।

Sunday, 5 August 2018


दोस्तों में जो नज़दीकियां थी वो दूरियाँ में तब्दील हो गई,
शाम की थकां के बाद जो चाँद तले नींद हुआ करती थी गुम हो गई,

यार नु पता है अपने दिला विच हर एक मौसमा द रंग,
ऐसे थोडी नी कहते मेनू चढ़ गई यार की रंगदारी द रोग,,

Saturday, 4 August 2018

ख़ुदा



वो ख्यालों में है,
ख़ुदा है कोई और
मगर दीवाने सब है,,

Dost



Dost janne ki koshish karte,
Hum batlate ki pucho..?
Jab hum batlate to wo sunte,
Fir wo wahiyat kah kar khafaa ho jate.

Friday, 3 August 2018


हमसफ़र के रिश्ते बेज़ुबान हो जाते हैं,
हैसियत के आगे रिश्ते रवां हो जाते है।
©akash_kumar

Dua




ख़ुशी ये बरक़रार आलम महफूज़ रहे,
तेरी मौज़ूदगी इस जहाँ में हमेशा रहे,,
©akash_kumar

Tuesday, 31 July 2018

रिश्ते



वक़्त की डोर से बंधे तो सब लोग आपस मे है,

मग़र जंहा से डोर गुज़रती वंहा दायरा होता है...

रिश्ते नही,,

Sunday, 29 July 2018

bacche




बच्चे तभी बड़े से हो जाते है,
ज़रूरतों के जुगार ख़ुद करने लगते है,, 


Tuesday, 10 July 2018

कई दफ़ा








दिल को कई दफ़ा लगाया तुम्हारे बाद,
जाने क्यों लगा ही नहीं कंही तुम्हारे बाद,, 

आकाश कुमार 


https://www.facebook.com/Qaafila16/

Sunday, 8 July 2018

माँ






माँ को एक भाषा का इल्म बेहत्तर होता है,
बच्चे को समझने का वो बेहत्तर हुनर होता है,,

Saturday, 7 July 2018

याद आते हो





ना करने के बाद भी
तुम्हारा ये कैसा ज़ोर रहा 
मुझ पर......
कि ख़्याल आज भी याद आते है,, 

Friday, 6 July 2018

राज़दार इश्क़




Qaafila - क़ाफ़िला



किसी दौर में संज़ीदा राज़दार इश्क़ भी हुआ करते थे,
आज कल तो सब नुमाइशी बाज़ार के हिस्सा हुआ करते है,, 
आकाश कुमार


Tuesday, 3 July 2018

खाली वक़्त

-: खाली वक़्त :-


खाली वक़्त नहीं जो बस गुज़ारने आता  हूँ,
पास आता हूँ मग़र ख़ुश होने को आता हूँ,,

तुम्हारे अपनेपन के साथ खुस भी होता हूँ,
जैसे ही जाता हूँ फ़िर पहले जैसा हो जाता हूँ,,

इश्क़ एक बार ही होता है,
मग़र साथ तो नहीं हुए वो,,

दोबारा में  भी इश्क़ जैसा ही कुछ है,
साथ का तो नहीं पता, पहले से बेहतर है,,

दुःखों के साथ सफ़र करने के बाद,
इस बार ख़ुशी के अनुभव का अहसास है,,

पहली बार में साथ की उम्मीद थी,
इस बार कोई ख़्वाइश ही नहीं थी,,

तब मुलाक़ातों की बेचैनी हुआ करती थी,
बगैर इंतज़ार के सातवे दिन मुलाक़ात हो जाती है,,

उलझनों में उलझा रहता हूँ,
तुम्हारे पास आते ही सुलझ जाता हूँ,,

तुमको ख़बर रहता है अपने वक़्त का,
मुझको ख़बर नहीं मेरे ही वक़्त का,,

तुम काश विशाल समुंदर हो जाती,
मैं उसमे ही डूब कर हिस्सा हो जाता,,

न तुम्हारे पास ज़िम्मेदारी होती,
न मैंने कोई बाग़डोर थामी होती,, 

तुम्हे लहरें न पसंद होती,
मुझे वादियाँ न पसंद होती,,

तो फ़ि. . . . . . . . . . . 

"अनन्त सफ़र के बाद शायद लहरों और वादियों का मिलाप भी हो जाता,,
"आकाश कुमार" 

Monday, 2 July 2018


हर रोज की सुबह बदल जाती है,
ख़्याल बस वही क्यों रह जाते है,,
आकाश कुमार





फ़ैमी के शिकार न हो मेरे यार,
अंधरे में बसर करने वालो के 
नाम और शक्लें नहीं होती है,, 









वो देखते है हर हरकत मेरी पूछो तो,


वास्ता उनका हमसे कुछ भी नहीं है,,


Sunday, 1 July 2018





इश्क़ न ख़र्च कर यूँ बेवज़ह हर किसी पर,


कि ज़रुरत होने पर बचे ही न खुद पास,,


Friday, 29 June 2018

कुछ भी नहीं हो तुम

कुछ भी नहीं हो तुम नहीं सही,

समझने का मौका तो दो सही,,


बस तुम्हे देखता रहूँ मैं,

कोई ऎसी शाम तो दो सही,,


आज़ादियों के समह मे,

पंख फ़ैलाने का मौका तो दो सही,,


तुम मेरी कुछ भी नहीं सही,

कुछ देर मेरे पास ठहरो तो सही,,


कुछ हमारी कुछ तुम्हारी,

कहने को कहानियाँ हो तो सही,,


गुज़ारने को यादें हो मगर,

यादों का कोई ज़रिया तो हो सही,,


तुम्हारे बदलते मौसम का,

कुछ असर हम पर भी हो तो सही,,


तुम्हारे चेहरे के बदलते रंगो का,

गुज़रती उम्र का अह्सास हमे भी हो तो सही,,


पसंद और नपसंद के अदला बदली में,

समझौते से तुम्हारी नम आँखों के साथ नम मेरी भी हो तो सही,,


हस्ते खिलखिलाते सुलझाते बालों के साथ पर्दा हटाओ तो सही,

मेरे अशिआना में फैले अँधेरे पर रोशनी को आने तो दो सही,,


दूर से ही ऐसे मौसमों से तुम्हे,

उभरने के नए ज़रिया देखें तो सही,,


दूर से अब दिखाई नहीं देता है, या पहचान नहीं पाता हूँ,

अब तुम ही हो वंही या नहीं, कोई पता कर के बताए तो सही,,


आकाश कुमार 
  
                                               

Wednesday, 27 June 2018


जन्म दिन दिवस की शुभ कामनाएँ 




बचपन की गलियों में पकड़म पकड़ाई की दौड़ से,
दौड़ में दुनिया के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँची,,

कोई छीने तो छीने ले मेरी आज़ादियाँ,
हौंसलों को तुम कब तक क़ैद रखोगे,,
आकाश कुमार 

Tuesday, 26 June 2018

तार_वार दिल के



ये तार_वार दिल के सब टूट से गए,
तुम से मिलने की सारी रस्म टूट सी गईं,,

जिंदगी से जुगनू वाली रोशनी खो सी गई,
जिंदगी से तुम जब से रूठ सी गई हो,,

शायद बेवज़ह की बातें हुई होंगी ,
तुम जो रूठी हो शायद यही वज़ह होगी,,

दोबारा मिलने_मिलाने का कोई तो बहाना होगा,
या फ़िर कोई आज़माइश का ठिकाना न होगा,,

अगर तुम कभी कंही उलझ जाना,
संदेश में अपना पता तो बता जाना,,

तुम साथ न रहना कुछ दूर ही रहना,
बिना ख़बर हुए तुमको कुछ दूरी पर आशियाँ बना लेंगे,,

हर रोज एक उगते सूरज की तरह तुम्हे देखूंगा,
तुम बस गुज़रते वक़्त की तरह रोज़ शाम ले आना,,

हम उमीदों को बुला कर हर रोज़,
भोर के बाद चाय सुट्टे का लुफ़्त लेंगे,,

ऎसे ही तार ये दिल के सायद जुड़ जाये,
या फिर ख़्वाब के साथ ही ये जमाना गुज़र जाए.......,,

Monday, 25 June 2018




गूंजने वाली दो हांथो की तालियाँ  ही सिर्फ तालियाँ  नहीं होती है,


प्रोत्साहन व अभिवादन तो एक हाँथ के लोगो की गूँगी तालियों से भी होती है,,



जिंदगी में ज़िंदा_दिली के नहीं अहसान के रिश्ते होते है,
जो जिसका मददगार होता वही उसका सम्बन्धी होता है,,


Sunday, 24 June 2018





सौ किलो का बोझ हमेशा सिर पर रहता है,
जैसे देश की बाग़डोर मेरे हाँथ में रहती हो,,  

Saturday, 23 June 2018




तड़पती रूह को आसना मिल गया होता,
ग़र मैं तुम में तुम मुझ में फ़ना हो गए होते,,

हम से भी हसीन उनकी किताबें होती है, जो किताबों पर उँगलियों के रक़्स होते है। रातों को न जाने कितने पन्नें कितनी मरतबं पलटे ...