Friday, 3 August 2018

Dua




ख़ुशी ये बरक़रार आलम महफूज़ रहे,
तेरी मौज़ूदगी इस जहाँ में हमेशा रहे,,
©akash_kumar

No comments:

Post a Comment

हम से भी हसीन उनकी किताबें होती है, जो किताबों पर उँगलियों के रक़्स होते है। रातों को न जाने कितने पन्नें कितनी मरतबं पलटे ...