Sunday, 29 July 2018

bacche




बच्चे तभी बड़े से हो जाते है,
ज़रूरतों के जुगार ख़ुद करने लगते है,, 


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हम से भी हसीन उनकी किताबें होती है, जो किताबों पर उँगलियों के रक़्स होते है। रातों को न जाने कितने पन्नें कितनी मरतबं पलटे ...