Monday, 6 August 2018

अंज़ाम


जो अंजाम की परवाह करते है,
सफ़र की गाहें-बग़ाहें नही करते है।

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हम से भी हसीन उनकी किताबें होती है, जो किताबों पर उँगलियों के रक़्स होते है। रातों को न जाने कितने पन्नें कितनी मरतबं पलटे ...