Tuesday, 14 August 2018


क़यामत की घटा है केशुओं में उनकी,
हर मौसम की बहार है उनकी झलक,,

उम्र गुज़ार दूँ मैं बस उन्हें देख कर यूँ,
साथ क्या देख कर उम्र बसर कर लूँ,,

No comments:

Post a Comment

हम से भी हसीन उनकी किताबें होती है, जो किताबों पर उँगलियों के रक़्स होते है। रातों को न जाने कितने पन्नें कितनी मरतबं पलटे ...