Wednesday, 22 August 2018



पीछे जाने के सारे रास्ते जला दो, 
क़ामयाबी के रास्ते बुलंद बना लो,,

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हम से भी हसीन उनकी किताबें होती है, जो किताबों पर उँगलियों के रक़्स होते है। रातों को न जाने कितने पन्नें कितनी मरतबं पलटे ...