Sunday, 1 July 2018





इश्क़ न ख़र्च कर यूँ बेवज़ह हर किसी पर,


कि ज़रुरत होने पर बचे ही न खुद पास,,


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हम से भी हसीन उनकी किताबें होती है, जो किताबों पर उँगलियों के रक़्स होते है। रातों को न जाने कितने पन्नें कितनी मरतबं पलटे ...