Tuesday, 31 July 2018

रिश्ते



वक़्त की डोर से बंधे तो सब लोग आपस मे है,

मग़र जंहा से डोर गुज़रती वंहा दायरा होता है...

रिश्ते नही,,

No comments:

Post a Comment

हम से भी हसीन उनकी किताबें होती है, जो किताबों पर उँगलियों के रक़्स होते है। रातों को न जाने कितने पन्नें कितनी मरतबं पलटे ...