Monday, 27 August 2018


चलो रहने देते है तुमसे ख्वाइशें,
सवाल-जवाब भी हमी रखते है,,

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हम से भी हसीन उनकी किताबें होती है, जो किताबों पर उँगलियों के रक़्स होते है। रातों को न जाने कितने पन्नें कितनी मरतबं पलटे ...