Friday, 31 August 2018

रंग


सब के सब इंद्रधनुष के रंग धरे ही रह जाते है,
एक दो रंगों का असर ख़ूब चढ़ता चेहरे पर तेरे,,

Tuesday, 28 August 2018


दिन मज़दूरों से है ,रात जैसे क़िस्तों से है,
जिस पल तुम साथ बस वो वक़्त मेरा है,,

Monday, 27 August 2018


चलो रहने देते है तुमसे ख्वाइशें,
सवाल-जवाब भी हमी रखते है,,

Sunday, 26 August 2018



मेरे साथ ही क्यों तजुर्बेकार होता है,
न हाँथ मिला सकते न गले लिपट सकते है,,

Saturday, 25 August 2018

राखी



हाँथों में लिपटा सिर्फ़ धागा नही तुम्हारा पावन विस्वास है,
मानो तो कुछ नही ये धागा तेरे इश्क़ का  एक जवाब है बहन,,


दीदार



तुम्हारी सूरत देखते ही कैसे उँगलियाँ थकां छोड़ देती है,
वर्षों का उदास चेहरा कैसे अपने ताले खोल देता है,,


एक रात बड़ी मय्यसर सी गुमनाम दर्ज है,
उसकी क़ामयाबी के पीछे चाँद भी जगा है,,

Wednesday, 22 August 2018

इंतज़ार



कुछ ख्वाइशें दिल मे इस क़दर धड़कती रही,
रात छोटी होती गई इंतज़ार की हद्दे बढ़ती गई,,





पीछे जाने के सारे रास्ते जला दो, 
क़ामयाबी के रास्ते बुलंद बना लो,,

Thursday, 16 August 2018

सार्वजनिक डायरी



हर कोई लेखक नही आज,
हर कोई लिखता है आज एक दो को छोड़ कर ,,
आज कोई कलम से डायरी नही भरता,
दिन भर का हिसाब सोशल साइट्स पर होता है।
डायरियां खुद ब खुद वाक्या नही बतलाती हैं,
वाक्या याद दिला कर (पिछली सोच) यानी याद से तरोताज़ा भी करता है,
इक्तिफाखन डायरियां पढ़ने का वक़्त किसको कँहा अब,
जो अंगूठे को चलाने की आदत सी हो चुकी हैं,
यूँ ही गुज़रे वक़्त को देख उस दिन को गुनगुना सोच कर दोबारा साँसें रोक लेता हूँ।
हर कोई लेखक नही आज, लिखते सब किसी तौर से है।
बोलते जो लोग हैं वही बस लिखते सुनाते है।
दो तारफ़ा चलने,बोलने, देखने, ज़ीने वाले भी बहुत है,
फेसबुक तफ़रीह का घर नही हर किसी की निजी डायरी है।
निज़ी चीज़ो पर कितना ऐयतियाद बर्तना पड़ता है ये भी जानते हो आप.........


,,विख्यात अस्मा स विस्तार नीले अस्मा स शांत,,





चलती फिरती ज़िन्दगी यूँ मुँह मोड़ लेगी,
किसको पता पल से शुरू रिश्ते,
लम्बे सफ़र में साथ छोड़ देगी। 

Tuesday, 14 August 2018


क़यामत की घटा है केशुओं में उनकी,
हर मौसम की बहार है उनकी झलक,,

उम्र गुज़ार दूँ मैं बस उन्हें देख कर यूँ,
साथ क्या देख कर उम्र बसर कर लूँ,,


हाँथों में मेहँदी गुद्दी हुई ढाई फिट बच्ची के हाँथ फैलें हुए थे,
कई बार कहा दुकानदार से ,
उसके हाथों को एक टक देखने के बाद,
 उसके हाँथ में एक दागी अनार थमा दिया।

Monday, 13 August 2018

स्वतंत्रता

दिये जलते है तो जलने दो,
उम्मीदों की दरख़्त में रोशनी फैलने दो,

गुमनाम बच्चों को अब सवरने दो,
फ़िर देश के हित मे उन्हें भी कुछ करने दो।

Sunday, 12 August 2018

अहसास

AHSAS EK SATH KA WO NAAM HO TUMHARA,
NAAM KE ALAWA TUM NASEEB ME NAHI,,

Saturday, 11 August 2018

खौफ़


जिनकी दाढ़ी है वो कोहराम के चलते जिया करते है,
आतंकवाद से वास्ता नही रिश्तेदार फिर भी कहलाते है,,

Wednesday, 8 August 2018




तुम्हारी आवाज़ महज़ एक तनख्वा होती।
माह के आख़िर तक सम्हाल कर ख़र्च करते।।

Tuesday, 7 August 2018

आलोचना


तिरगी में पत्थर फेंकने से क्या फ़ायदा,
तिरगी में न पहचान हमारी न तुम्हारी है।

Monday, 6 August 2018

अंज़ाम


जो अंजाम की परवाह करते है,
सफ़र की गाहें-बग़ाहें नही करते है।

Sunday, 5 August 2018


दोस्तों में जो नज़दीकियां थी वो दूरियाँ में तब्दील हो गई,
शाम की थकां के बाद जो चाँद तले नींद हुआ करती थी गुम हो गई,

यार नु पता है अपने दिला विच हर एक मौसमा द रंग,
ऐसे थोडी नी कहते मेनू चढ़ गई यार की रंगदारी द रोग,,

Saturday, 4 August 2018

ख़ुदा



वो ख्यालों में है,
ख़ुदा है कोई और
मगर दीवाने सब है,,

Dost



Dost janne ki koshish karte,
Hum batlate ki pucho..?
Jab hum batlate to wo sunte,
Fir wo wahiyat kah kar khafaa ho jate.

Friday, 3 August 2018


हमसफ़र के रिश्ते बेज़ुबान हो जाते हैं,
हैसियत के आगे रिश्ते रवां हो जाते है।
©akash_kumar

Dua




ख़ुशी ये बरक़रार आलम महफूज़ रहे,
तेरी मौज़ूदगी इस जहाँ में हमेशा रहे,,
©akash_kumar

हम से भी हसीन उनकी किताबें होती है, जो किताबों पर उँगलियों के रक़्स होते है। रातों को न जाने कितने पन्नें कितनी मरतबं पलटे ...