-: हँसती खिलखिलाती दोस्त हमारी :-
हँसती है खिलखिलाती है
अतरंग अपना हर पल बनाती है
प्यारी दुलारी है......
रिश्तों के बाद वो दोस्त भी निराली है
हमेशा हँसती और हँसाती है
कई अज़ब अतरंग महौल बनाती है
जैसे सूरज और चाँद को एक साथ ले आती है.....
कंही के सवाल कंही को मिला जाती है
आखिर में मुद्दा खाने पर ले आती है
खाने पर मरती और पैसों से दिल लगाती है......
बेवक़्त को वक़्त से मिलती है
दोनों पहलुओ में वो हाथ थाम कर चलती है
लुटा चुके उम्र जो उसे देख कर
समय को फिर पाने के गाह लगते है ...
हमेशा हँसती खिलखिलाती है
अपनी अदाकारी से सबका दिल लुभा ले जाती है.......
किरदारों के बिना कई किरदार बना जाती है
सबकी दुलारी प्यारी एक दोस्त हमारी है
उम्र दर्ज जैसे भरी शब्दों से चिढ़ने वाली है....
वो फिर भी सबकी दुलारी है
"ख्वाइशों को सिर पर सवार न कर,
चलती है ख्वाइशों पर सवार हो कर ,,"
निस्वार्थ भाव से साथ बिना भाव के हाँथ
बढ़ा कर सबके साथ चलती है। .......
ऎसे ही सबकी दुलारी प्यारी दोस्त हमारी है
हँसती खिलखिलाती सबकी दुलारी है दोस्त हमारी है.....
किसी की बहन किसी की दोस्त किसी की बेटी और शागिर्द,
वो सबकी दुलारी हँसती खिलखिलाती दोस्त हमारी भी है। ....
"सूरज किसी का अक्स न छीने,
खुदा तू हॅसने वालों की मुस्कान न छीने ,,"
(डेडिकेटेड फॉर सपना )
आकाश कुमार धुरिया
हँसती है खिलखिलाती है
अतरंग अपना हर पल बनाती है
प्यारी दुलारी है......
रिश्तों के बाद वो दोस्त भी निराली है
हमेशा हँसती और हँसाती है
कई अज़ब अतरंग महौल बनाती है
जैसे सूरज और चाँद को एक साथ ले आती है.....
कंही के सवाल कंही को मिला जाती है
आखिर में मुद्दा खाने पर ले आती है
खाने पर मरती और पैसों से दिल लगाती है......
बेवक़्त को वक़्त से मिलती है
दोनों पहलुओ में वो हाथ थाम कर चलती है
लुटा चुके उम्र जो उसे देख कर
समय को फिर पाने के गाह लगते है ...
हमेशा हँसती खिलखिलाती है
अपनी अदाकारी से सबका दिल लुभा ले जाती है.......
किरदारों के बिना कई किरदार बना जाती है
सबकी दुलारी प्यारी एक दोस्त हमारी है
उम्र दर्ज जैसे भरी शब्दों से चिढ़ने वाली है....
वो फिर भी सबकी दुलारी है
"ख्वाइशों को सिर पर सवार न कर,
चलती है ख्वाइशों पर सवार हो कर ,,"
निस्वार्थ भाव से साथ बिना भाव के हाँथ
बढ़ा कर सबके साथ चलती है। .......
ऎसे ही सबकी दुलारी प्यारी दोस्त हमारी है
हँसती खिलखिलाती सबकी दुलारी है दोस्त हमारी है.....
किसी की बहन किसी की दोस्त किसी की बेटी और शागिर्द,
वो सबकी दुलारी हँसती खिलखिलाती दोस्त हमारी भी है। ....
"सूरज किसी का अक्स न छीने,
खुदा तू हॅसने वालों की मुस्कान न छीने ,,"
(डेडिकेटेड फॉर सपना )
आकाश कुमार धुरिया
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