Friday, 29 June 2018

कुछ भी नहीं हो तुम

कुछ भी नहीं हो तुम नहीं सही,

समझने का मौका तो दो सही,,


बस तुम्हे देखता रहूँ मैं,

कोई ऎसी शाम तो दो सही,,


आज़ादियों के समह मे,

पंख फ़ैलाने का मौका तो दो सही,,


तुम मेरी कुछ भी नहीं सही,

कुछ देर मेरे पास ठहरो तो सही,,


कुछ हमारी कुछ तुम्हारी,

कहने को कहानियाँ हो तो सही,,


गुज़ारने को यादें हो मगर,

यादों का कोई ज़रिया तो हो सही,,


तुम्हारे बदलते मौसम का,

कुछ असर हम पर भी हो तो सही,,


तुम्हारे चेहरे के बदलते रंगो का,

गुज़रती उम्र का अह्सास हमे भी हो तो सही,,


पसंद और नपसंद के अदला बदली में,

समझौते से तुम्हारी नम आँखों के साथ नम मेरी भी हो तो सही,,


हस्ते खिलखिलाते सुलझाते बालों के साथ पर्दा हटाओ तो सही,

मेरे अशिआना में फैले अँधेरे पर रोशनी को आने तो दो सही,,


दूर से ही ऐसे मौसमों से तुम्हे,

उभरने के नए ज़रिया देखें तो सही,,


दूर से अब दिखाई नहीं देता है, या पहचान नहीं पाता हूँ,

अब तुम ही हो वंही या नहीं, कोई पता कर के बताए तो सही,,


आकाश कुमार 
  
                                               

Wednesday, 27 June 2018


जन्म दिन दिवस की शुभ कामनाएँ 




बचपन की गलियों में पकड़म पकड़ाई की दौड़ से,
दौड़ में दुनिया के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँची,,

कोई छीने तो छीने ले मेरी आज़ादियाँ,
हौंसलों को तुम कब तक क़ैद रखोगे,,
आकाश कुमार 

Tuesday, 26 June 2018

तार_वार दिल के



ये तार_वार दिल के सब टूट से गए,
तुम से मिलने की सारी रस्म टूट सी गईं,,

जिंदगी से जुगनू वाली रोशनी खो सी गई,
जिंदगी से तुम जब से रूठ सी गई हो,,

शायद बेवज़ह की बातें हुई होंगी ,
तुम जो रूठी हो शायद यही वज़ह होगी,,

दोबारा मिलने_मिलाने का कोई तो बहाना होगा,
या फ़िर कोई आज़माइश का ठिकाना न होगा,,

अगर तुम कभी कंही उलझ जाना,
संदेश में अपना पता तो बता जाना,,

तुम साथ न रहना कुछ दूर ही रहना,
बिना ख़बर हुए तुमको कुछ दूरी पर आशियाँ बना लेंगे,,

हर रोज एक उगते सूरज की तरह तुम्हे देखूंगा,
तुम बस गुज़रते वक़्त की तरह रोज़ शाम ले आना,,

हम उमीदों को बुला कर हर रोज़,
भोर के बाद चाय सुट्टे का लुफ़्त लेंगे,,

ऎसे ही तार ये दिल के सायद जुड़ जाये,
या फिर ख़्वाब के साथ ही ये जमाना गुज़र जाए.......,,

Monday, 25 June 2018




गूंजने वाली दो हांथो की तालियाँ  ही सिर्फ तालियाँ  नहीं होती है,


प्रोत्साहन व अभिवादन तो एक हाँथ के लोगो की गूँगी तालियों से भी होती है,,



जिंदगी में ज़िंदा_दिली के नहीं अहसान के रिश्ते होते है,
जो जिसका मददगार होता वही उसका सम्बन्धी होता है,,


Sunday, 24 June 2018





सौ किलो का बोझ हमेशा सिर पर रहता है,
जैसे देश की बाग़डोर मेरे हाँथ में रहती हो,,  

Saturday, 23 June 2018




तड़पती रूह को आसना मिल गया होता,
ग़र मैं तुम में तुम मुझ में फ़ना हो गए होते,,

Thursday, 21 June 2018




गले लगने की ख़्वाइश थी और वो हाँथ मिला कर चले गए,
कुछ देर बैठें गुफ़्तगुह को उम्र भर सोचने को छोड़ चले गए,,

Monday, 18 June 2018

अपने





मेरे अपने जो थे कब के छूट गए थे ,
रक़ीब की जुबां से नए भी रूठ गए है ,,

ख्वाइशों




किसी के ख्वाइशों के आड़े मैं न आजाऊं,
बस अब मैं किनारे पर ही थम जाऊं ,,

musāfiroñ se mohabbat baat kar lekin
musāfiroñ mohabbat e'tibār na kr
                                                                           UMAR ANSARI

Saturday, 16 June 2018

माँ_सी नहीं वो माँ है,




माँ_सी नहीं वो माँ है,
जब तक हाँथ नहीं  रखती है,
नींद बसर नहीं करती है........ 

चैन_ओ  सुकून नहीं रहता है,
सब के सब रक्स बेअसर रहते है,
जब तक माँ हाँथ नहीं रखती है. ...... 

मेरे होने का पता नहीं रहता है,
कामयाबी का ठिया नहीं रहता है,
वो रात हसीं नहीं रहती है........ 

माँ  जब तक हाँथ नहीं रखती है,
पापा का हाँथ नहीं रोकती...... 

कुछ अपना नहीं लगता है,
चैन ओ सुकून नहीं रहता है,
माँ_सी नहीं वो माँ है। ...... 

सब के सब रिश्ते है बेवक्त भाव के,
उनसे सुकून नहीं मिलता पर वो माँ बाप है ,,

Friday, 15 June 2018

-: हँसती खिलखिलाती दोस्त हमारी :-

-: हँसती खिलखिलाती दोस्त हमारी  :-

हँसती है खिलखिलाती है
अतरंग अपना हर पल बनाती है 
प्यारी दुलारी है...... 

रिश्तों के बाद वो दोस्त भी निराली है
हमेशा हँसती और हँसाती है
कई अज़ब अतरंग महौल बनाती है
जैसे सूरज और चाँद को एक साथ ले आती  है.....

कंही के सवाल कंही को मिला जाती है 
आखिर में मुद्दा खाने पर ले आती है 
खाने पर मरती और पैसों से दिल लगाती है...... 

बेवक़्त को वक़्त से मिलती है 
दोनों पहलुओ में वो  हाथ थाम कर चलती है
लुटा चुके उम्र जो उसे देख कर
समय को फिर पाने के गाह लगते है ... 

हमेशा हँसती खिलखिलाती है 
अपनी अदाकारी से सबका दिल लुभा ले जाती है....... 
किरदारों के बिना कई किरदार बना जाती है 
सबकी दुलारी प्यारी एक दोस्त हमारी है
उम्र दर्ज जैसे भरी शब्दों से चिढ़ने वाली है.... 

वो फिर भी सबकी दुलारी है 

"ख्वाइशों को सिर पर सवार न कर,
चलती है ख्वाइशों पर सवार हो कर ,,"

निस्वार्थ भाव से साथ  बिना भाव के हाँथ 
बढ़ा कर सबके साथ चलती है। ....... 

ऎसे ही सबकी दुलारी प्यारी दोस्त हमारी है 
हँसती खिलखिलाती सबकी दुलारी है दोस्त हमारी है..... 
किसी की बहन किसी की दोस्त  किसी की बेटी और शागिर्द,
वो सबकी दुलारी हँसती खिलखिलाती दोस्त हमारी भी  है। .... 

"सूरज किसी का अक्स न छीने,
खुदा तू हॅसने वालों की मुस्कान न छीने ,," 

(डेडिकेटेड फॉर सपना )

                                        आकाश कुमार धुरिया 
                               

Thursday, 14 June 2018

जून उपहार ......




तुम जो तय कर चली सफ़र हो,
जिस में न थकी न झुकी हो,,

इतनी थकां के बावजूद भी ,
हुई न कभी जो आह है,,

वक़्त भी तुम से सहमा है,
तुम से तैस में अब वो रुस्वा है,,

तुम न डरना तुम न थकना,
बस अपने वजूद के लिए डटे रहना ,,

जो दर्द तुम्हारा आज है वही,
वही तुम्हारी सफलता का अर्चन है,,

तुम्हे सफ़र जो सपनो का तय करना है,
तो ये जैसे तैसे सफ़र बस तुम्हे ही तय करना है,,

आह भरो या कहारों तुम अकेले,
बेमन दर्द को मज्जे में बदलो तुम,,

दिल खोल  कर आज़ाद बोलना और चलना है,
इन काटो को तुम्हे अब पंखुड़ी समझ कर चलना है,,

तुम्हारी प्रेरणा ही दर्द का निवारण है,
ट्रामिंडा नहीं तुम्हारी द्रढ़ता ही दर्द नासक है,, 

happy eid




वक़्त कम पड़ता है अच्छे वक़्त को थाम कर रखने में ,
पर्व को दो दिन का करने में कोशिस खुदा ने भी कम न की,,

हम से भी हसीन उनकी किताबें होती है, जो किताबों पर उँगलियों के रक़्स होते है। रातों को न जाने कितने पन्नें कितनी मरतबं पलटे ...