Tuesday, 31 July 2018

रिश्ते



वक़्त की डोर से बंधे तो सब लोग आपस मे है,

मग़र जंहा से डोर गुज़रती वंहा दायरा होता है...

रिश्ते नही,,

Sunday, 29 July 2018

bacche




बच्चे तभी बड़े से हो जाते है,
ज़रूरतों के जुगार ख़ुद करने लगते है,, 


Tuesday, 10 July 2018

कई दफ़ा








दिल को कई दफ़ा लगाया तुम्हारे बाद,
जाने क्यों लगा ही नहीं कंही तुम्हारे बाद,, 

आकाश कुमार 


https://www.facebook.com/Qaafila16/

Sunday, 8 July 2018

माँ






माँ को एक भाषा का इल्म बेहत्तर होता है,
बच्चे को समझने का वो बेहत्तर हुनर होता है,,

Saturday, 7 July 2018

याद आते हो





ना करने के बाद भी
तुम्हारा ये कैसा ज़ोर रहा 
मुझ पर......
कि ख़्याल आज भी याद आते है,, 

Friday, 6 July 2018

राज़दार इश्क़




Qaafila - क़ाफ़िला



किसी दौर में संज़ीदा राज़दार इश्क़ भी हुआ करते थे,
आज कल तो सब नुमाइशी बाज़ार के हिस्सा हुआ करते है,, 
आकाश कुमार


Tuesday, 3 July 2018

खाली वक़्त

-: खाली वक़्त :-


खाली वक़्त नहीं जो बस गुज़ारने आता  हूँ,
पास आता हूँ मग़र ख़ुश होने को आता हूँ,,

तुम्हारे अपनेपन के साथ खुस भी होता हूँ,
जैसे ही जाता हूँ फ़िर पहले जैसा हो जाता हूँ,,

इश्क़ एक बार ही होता है,
मग़र साथ तो नहीं हुए वो,,

दोबारा में  भी इश्क़ जैसा ही कुछ है,
साथ का तो नहीं पता, पहले से बेहतर है,,

दुःखों के साथ सफ़र करने के बाद,
इस बार ख़ुशी के अनुभव का अहसास है,,

पहली बार में साथ की उम्मीद थी,
इस बार कोई ख़्वाइश ही नहीं थी,,

तब मुलाक़ातों की बेचैनी हुआ करती थी,
बगैर इंतज़ार के सातवे दिन मुलाक़ात हो जाती है,,

उलझनों में उलझा रहता हूँ,
तुम्हारे पास आते ही सुलझ जाता हूँ,,

तुमको ख़बर रहता है अपने वक़्त का,
मुझको ख़बर नहीं मेरे ही वक़्त का,,

तुम काश विशाल समुंदर हो जाती,
मैं उसमे ही डूब कर हिस्सा हो जाता,,

न तुम्हारे पास ज़िम्मेदारी होती,
न मैंने कोई बाग़डोर थामी होती,, 

तुम्हे लहरें न पसंद होती,
मुझे वादियाँ न पसंद होती,,

तो फ़ि. . . . . . . . . . . 

"अनन्त सफ़र के बाद शायद लहरों और वादियों का मिलाप भी हो जाता,,
"आकाश कुमार" 

Monday, 2 July 2018


हर रोज की सुबह बदल जाती है,
ख़्याल बस वही क्यों रह जाते है,,
आकाश कुमार





फ़ैमी के शिकार न हो मेरे यार,
अंधरे में बसर करने वालो के 
नाम और शक्लें नहीं होती है,, 









वो देखते है हर हरकत मेरी पूछो तो,


वास्ता उनका हमसे कुछ भी नहीं है,,


Sunday, 1 July 2018





इश्क़ न ख़र्च कर यूँ बेवज़ह हर किसी पर,


कि ज़रुरत होने पर बचे ही न खुद पास,,


हम से भी हसीन उनकी किताबें होती है, जो किताबों पर उँगलियों के रक़्स होते है। रातों को न जाने कितने पन्नें कितनी मरतबं पलटे ...