Qaafila - क़ाफ़िला
अकेले चला बग़ैर हाँथ थामे, हाँथों में हाँथ माँगा था, पर तुम्हे मेरे हालातों से बदनाम कँहा होना था, ज़ानिब मैं थोड़ा दूर क्या गया,लोगो ने बड़ा समझ लिया, वो मेरा अपना है कह कह कर इस पर "क़ाफ़िला" जमा लिया, अकेले ही चला जिस सफ़र में मैं तो फ़िर ज़ानिब ये "क़ाफ़िला" अपनो का कँहा बना लिया।
Wednesday, 5 September 2018
Friday, 31 August 2018
Thursday, 30 August 2018
Subscribe to:
Posts (Atom)
हम से भी हसीन उनकी किताबें होती है, जो किताबों पर उँगलियों के रक़्स होते है। रातों को न जाने कितने पन्नें कितनी मरतबं पलटे ...